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    इतिहास

    लखनऊ शहर उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी है। लखनऊ जिला एवं संभाग का प्रशासनिक मुख्यालय है ये शहर। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर के रूप में जाना जाता रहा है, 18वीं और 19वीं शताब्दी मे उत्तर भारत की सांस्कृतिक और कलात्मक राजधानी के रूप मे फला फूला। जिला एवं सत्र न्यायालय लखनऊ, माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आता है। न्यायालय गोमती नदी के किनारे स्थित है, जो की लखनऊ की विरासत को वहन करता है। सिविल कोर्ट परिसर के तीन खण्ड है; उत्तरी खण्ड,दक्षिणी खण्ड एवं बहुखण्डी भवन । यहाँ पर दो वाह्य न्यायालय है, सिविल जज(सी०डी०) मोहनलालगंज एवं सिविल जज(सी०डी०) मलिहाबाद जो की सिविल कोर्ट प्रांगण मे ही स्थापित है। जजशिप मे सेंट्रल बार एसोसिएशन भी है जो सिविल कोर्ट परिसर मे ही स्थित है।

    अवध का मुख्य न्यायालय:- न्यायिक प्रशासन की प्रणाली अपर्याप्त और पुरातन पाई गई, इसलिए जनता की मांग को पूरा करने के लिए,गवर्नर-जनरल की पूर्व स्वीकृति से उत्तर प्रदेश विधान मण्डल द्वारा एक अधिनियम,1925 का उत्तर प्रदेश अधिनियम चार (अवध न्यायालय अधिनियम)जो की भारत सरकार अधिनियम,1919 की धारा 80-ए की उप-धारा (3) “अवध के न्यायालयों से संबंधित कानून में संशोधन और समेकन करने के लिए” अपेक्षित था, सन 1925 मे पारित किया गया। इसने पहले के अवध न्यायालय अधिनियम को समाप्त कर दिया, और 5 न्यायाधीशों:एक मुख्य न्यायाधीश और 4 अवर न्यायाधीशों के साथ अवध के लिए एक मुख्य न्यायालय की स्थापना की। 5 न्यायाधीशों मे से 2 भारतीय लोक सेवा के सदस्य थे,एक प्रांतीय न्यायिक सेवा का सदस्य और 2 बार से थे। इस अधिनियम की धारा 7 के अंतर्गत मुख्य न्यायालय को 5 लाख या अधिक मूल्यांकन के मुकदमों की सुनवाई का मूल नागरिक क्षेत्राधिकार था। इसे बाद में 1939 के अधिनियम 9 द्वारा निरस्त कर दिया गया। भारत सरकार के (भारतीय कानून का अनुकूलन) आदेश,1937 से उक्त अधिनियम की धारा 4 मे परिवर्तन कर इस अधिनियम मे एक और बदलाव किया गया जहां इसके तहत ये दिया गया कि “मुख्य न्यायालय मे एक मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे और ऐसे अन्य न्यायाधीश भारत सरकार के अधिनियम,1935 के तहत नियुक्त किये जा सकता है” इस प्रावधान के तहत एक छटे न्यायाधीश की नियुक्ति 1945 मे बार से की गई, जो मुख्य न्यायालय के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साथ समामेलन तक कार्य करती है, जो संयुक्त प्रांत उच्च न्यायालय (समामेलन) आदेश,1948, भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 229 के अंतर्गत गवर्नर-जनरल द्वारा जारी किया गया, जो की उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के दोनों कक्षों द्वारा उत्तर प्रदेश के गवर्नर को एक अभिभाषण की प्रस्तुति के बाद गवर्नर-जनरल को सौंप दिया गया। समामेलन के बाद दो अलग-अलग अदालतें “इलाहाबाद में न्यायपालिका का उच्च न्यायालय” के नाम से एक अदालत बन गईं। यह समामेलन आदेश के पैरा 14 के एक परंतुक द्वारा प्रदान किया गया था कि “नए उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीश,संख्या मे दो से कम नहीं, जैसा कि मुख्य न्यायाधीश,समय समय पर मनाेनीत कर सकते है,अवध में उत्पन्न होने वाले मामलों को निपटाने के लिए लखनऊ में बैठेंगे”। लखनऊ खण्डपीठ के प्रशासनिक मामलाें के निस्तारण हेतु वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ वर्तमान में उच्च न्यायालय के सात न्यायाधीश लखनऊ में तैनात है। मुख्य न्यायमूर्ति के साथ अन्य न्यायाधीशगण समय समय पर छाेटी अवधि के लिए लखनऊ आते थे और लखनऊ खण्डपीठ के ऐसे स्थायी न्यायाधीशगण इलाहाबाद काे जाते थे, जैसा और जब मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा मनाेनीत किया जाता था। समामेलन से पहले, मख्य न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश काे प्रति माह रू 4000 का वेतन दिया जाता था, जबकी प्रत्येक अवर न्यायाधीशगण काे रू 3500.

    जनपद न्यायालय लखनऊ उत्तर प्रदेश राज्य की सबसे बड़ी न्यायपालिका है जहां उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुल 120 न्यायालयों की स्वीकृति प्रदान की गई है। जनपद न्यायालय लखनऊ मे कुल 86 न्यायालय कार्य कर रही है। इसके अतिरिक्त कुल 12 अतिरिक्त न्यायालय एन०आई० ऐक्ट के रूप मे कार्य कर रही है। रिक्त न्यायालयों की संख्या कुल 20 है। पुराने उच्च न्यायालय परिसर की बिल्डिंग मे 2 वेवसायिक न्यायालय भी कार्य कर रही है।

    पारिवारिक न्यायालय लखनऊ 2 अलग स्थान अमेरिकन लाइब्रेरी एवं रोशन-उद-दौला परिसर मे स्थापित है जहां 1 प्रधान न्यायालय एवं 8 अतिरिक्त प्रधान न्यायालय कार्य कर रही है।

    चारबाग़ रेल्वे स्टेशन, लखनऊ पर रेल्वे मैजिस्ट्रैट न्यायालय (उ०रे० एवं उ०पू०रे०) कार्य कर रही है। मोहान रोड, लखनऊ पर एक बाल न्यायालय भी स्थापित है।

    लखनऊ सिवल कोर्ट प्रांगण मे कंप्युटरीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। दिनांक 01/04/2014 से वादों की केन्द्रीयकृत फाइलिंग का कार्य भी शुरू किया जा चुका है. तभी से सभी नए वादों को दर्ज करने का कार्य सर्वर कक्ष/ जे०एस०सी० कक्ष से संपादित किया जा रहा है। वर्तमान मे हम (सी०आई०एस० 3.2) पर कार्य कर रहे है जो की माननीय ई-कमेटी, भारत की माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ई-कोर्ट योजना के अंतर्गत प्रदान किया गया है।

    माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा दिनांक 04.10.2018, को पुराने उच्च न्यायालय, लखनऊ बेंच के 25 न्यायालयों को जनपद न्यायालय लखनऊ को सौंप दिया। जिला एवं सत्र न्यायालय के साथ 24 अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय एवं अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय स्तर की विशेष न्यायालय पुराने उच्च न्यायालय परिसर की बिल्डिंग मे कार्यरत है। मुख्य प्रशासनिक कार्यालय, केन्द्रीय नज़ारत, अकाउंट सेक्शन, कंप्युटर अनुभाग, अभिलेखागार कक्ष, केन्द्रीय लेखा अनुभाग, डी०एल०एस०ए० लखनऊ एवं व्यावसायिक न्यायालय, लखनऊ भी पुराने उच्च न्यायालय परिसर, लखनऊ मे कार्यरत है।